यादव वंश वृक्ष
से
ब्रह्मा
ब्रह्मा के सात मानस पुत्र हुए
1. मारीचि, 2. अत्रि 3.पुलस्त्य 4. पुलह 5. क्रतु 6.वशिष्ठ 7.कौशिक
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चंद्रमा
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बुध
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पुरुरवा
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आयु
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नहुष
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य़यति
महाराजा ययाति के दो रानियाँ थीं
1.देवयानी 2.शर्मिष्ठा
देवयानी से दो पुत्र हुए शर्मिष्ठा से तीन पुत्र हुए
1. यदु 2.तुर्वशु 1.दुह्यु 2.अनु 3.पुरु
1. सहस्त्रजित 2. क्रोष्टा 3.नल 4. रिपु
(सहस्त्रजित के तीन पुत्र) |
1. हैहय, 2.वेणुहय, 3. महाहय वृजिनवान
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धर्म श्वाही
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नेत्र रुशेकु
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कुन्ति चित्ररथ
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सोह्जी शशविंदु
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महिष्मान पृथुश्रवा
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भद्रसेन धर्म
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धनक उशना
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कृतवीर्य रुचक
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अर्जुन ज्यामघ
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जयध्वज विदर्भ
| (विदर्भ के तीन पुत्र )
तालजंघ 1 कश, 2. क्रुथ 3. रोमपाद
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बीतिहोत्र कुन्ति बभ्रु
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मधु धृष्टि कृति
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निर्वृति उशिक
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दर्शाह चेदि
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व्योम
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जीमूत
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विकृत
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भीमरथ
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नवरथ
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दशरथ
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शकुनि
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करम्भि
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देवरात
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देवक्षत्र
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मधु
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कुरूवश
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अनु
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पुरुहोत्र
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आयु
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सात्वत
सात्वत के सात पुत्र हुए
1. भजमान, 2. भजि , 3. दिव्य, 4.वृष्णि , 5. देवावृक्ष, 6. महाभोज , 7. अन्धक
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वृष्णि के दो रानियाँ थीं |
1. गांधारी 2. माद्री |
गांधारी के एक पुत्र माद्री के चार पुत्र |
सुमित्र 1.युधर्जित, 2.देवमीढुष,3.अनमित्र, 4.शिनि |
(अनमित्र) | | |
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निघ्न पृष्णि | |
निघ्न के दो पुत्र पृष्णि के दो पुत्र | |
1.प्रसेन 2.सत्राजित | | | |
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1.श्रफल्लक 2.चित्रक | |
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अक्रूर पृथु व अन्य | |
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देवमीढुष के दो रानियाँ थीं |
1. मदिषा 2. वैश्यवर्णा |
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शूरसेन पर्जन्य |
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| धरानंद,ध्रुव, नन्द आदि |
| आदि दस पुत्र हुए |
| |
वसुदेव देवभाग पृथा श्रुतश्रवा |
| | | | |
| उद्धव पाण्डव .शिशुपाल | | |
| अन्धक वंश ) बलराम श्रीकृष्ण अन्धक के चार पुत्र हुए
| 1.कुकुर, 2.भजमन, 3.शुचि, 4.कम्बल्बहिर्ष
प्रद्युम्न |
| बह्नी
अनिरुद्ध |
| बिलोम
ब्रजनाभि |
कपोतरोमा
|
अनु
|
अन्धक
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दुन्दुभी
|
अरिद्योत
|
पुनर्वसु
|
आहुक
आहुक के दो पुत्र हुए 1.देवक 2.उग्रसेन
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देवकी आदि कंस आदि
वंशावली से सम्बंधित कुछ तथ्य:-
1.यदुवंशियों का ऋषि गोत्र 'अत्रि ' है और वे चंद्रवंशी क्षत्रिय हैं।
2 . महाराजा ययाति के पाँच पुत्रो से जो वंशज चले उनका विवरण निम्नलिखित है:-
i. यदु से यादव
ii. तुर्वसु से यवन
iii. दुह्यु से भोज
iv. अनु से म्लेक्ष
v. पुरु से पौरव
3 . महाराज यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा,नल और रिपु नामक चार पुत्र थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम सहस्त्रजित था। सहस्त्रजित के वंशज हैहयवंशी यादव क्षत्रिय कहलाये। इस वंश में आगे चलकर सहस्त्र भुजाओं से युक्त अर्जुन नामक एक राजा हुए, जो बहुत बलशाली थे। उनकी जीवन गाथा इस ब्लाग के पृष्ठ संख्या 9 पर वर्णित है। यदु के दूसरे पुत्र का नाम क्रोष्टा था। क्रोष्टा के वंश में आगे चलकर सात्वत नामक एक राजा हुए। सात्वत के भजमान,.भजि , दिव्य, वृष्णि , देवावृक्ष, महाभोज ,और अन्धक नामक सात पुत्र थे । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार वृष्णि वंश में और उनकी माता देवकी का जन्म अन्धक वंश में हुआ था। सात्वत के सात पुत्रों में से वृष्णि और अन्धक के वंशजों ने बहुत ख्याति प्राप्त की।
4. वसुदेव और नन्द दोनों वृष्णि वंशी यादव थे तथा दोनों चचेरे भाई थे। अक्रूर भी वृष्णि -वंशी यादव थे। वे भगवान कृष्ण के चाचा थे।
संसार के महानतम वंशों में से एक यादव वंश बहुत विशाल है। कागज के पन्नो पर अथवा ब्लॉग के पन्नों पर इसका उल्लेख कर पाना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। तथापि विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथों के अध्ययन के बाद यहाँ संक्षिप वंश-वृक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है जिससे आगामी पृष्ठों पर वर्णित यदुकुल से सम्बंधित विस्तृत लेख समझने में आसानी रहे। परमपिता स्वयम्भू नारायण को सृष्टि का रचयिता माना गया है। अतः विशाल यादव वंशावली को दर्शाने का यह कार्य भी उनसे आरम्भ किया गया है, जो निम्नलिखित है:-
परमपिता स्वयम्भू नारायण से
ब्रह्मा
ब्रह्मा के सात मानस पुत्र हुए
1. मारीचि, 2. अत्रि 3.पुलस्त्य 4. पुलह 5. क्रतु 6.वशिष्ठ 7.कौशिक
|
चंद्रमा
|
बुध
|
पुरुरवा
|
आयु
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नहुष
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य़यति
महाराजा ययाति के दो रानियाँ थीं
1.देवयानी 2.शर्मिष्ठा
देवयानी से दो पुत्र हुए शर्मिष्ठा से तीन पुत्र हुए
1. यदु 2.तुर्वशु 1.दुह्यु 2.अनु 3.पुरु
महाराज यदु से यादव वंश चला। उनके कितने पुत्र थे इस विषय में विभिन्न धर्म ग्रन्थ एकमत नहीं हैं। कई ग्रंथों में उनकी संख्या पाँच बताई गई है तो कई में चार। श्रीमदभागवत महापुराण के अनुसार यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा, नल और रिपु नामक चार पुत्र हुए। उनका वंश वृक्ष नीचे दिया गया है:-
यदु के चार पुत्र 1. सहस्त्रजित 2. क्रोष्टा 3.नल 4. रिपु
(सहस्त्रजित के तीन पुत्र) |
1. हैहय, 2.वेणुहय, 3. महाहय वृजिनवान
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धर्म श्वाही
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नेत्र रुशेकु
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कुन्ति चित्ररथ
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सोह्जी शशविंदु
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महिष्मान पृथुश्रवा
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भद्रसेन धर्म
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धनक उशना
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कृतवीर्य रुचक
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अर्जुन ज्यामघ
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जयध्वज विदर्भ
| (विदर्भ के तीन पुत्र )
तालजंघ 1 कश, 2. क्रुथ 3. रोमपाद
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बीतिहोत्र कुन्ति बभ्रु
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मधु धृष्टि कृति
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निर्वृति उशिक
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दर्शाह चेदि
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व्योम
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जीमूत
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विकृत
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भीमरथ
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नवरथ
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दशरथ
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शकुनि
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करम्भि
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देवरात
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देवक्षत्र
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मधु
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कुरूवश
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अनु
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पुरुहोत्र
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आयु
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सात्वत
सात्वत के सात पुत्र हुए
1. भजमान, 2. भजि , 3. दिव्य, 4.वृष्णि , 5. देवावृक्ष, 6. महाभोज , 7. अन्धक
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वृष्णि के दो रानियाँ थीं |
1. गांधारी 2. माद्री |
गांधारी के एक पुत्र माद्री के चार पुत्र |
सुमित्र 1.युधर्जित, 2.देवमीढुष,3.अनमित्र, 4.शिनि |
(अनमित्र) | | |
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निघ्न पृष्णि | |
निघ्न के दो पुत्र पृष्णि के दो पुत्र | |
1.प्रसेन 2.सत्राजित | | | |
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1.श्रफल्लक 2.चित्रक | |
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अक्रूर पृथु व अन्य | |
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देवमीढुष के दो रानियाँ थीं |
1. मदिषा 2. वैश्यवर्णा |
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शूरसेन पर्जन्य |
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| धरानंद,ध्रुव, नन्द आदि |
| आदि दस पुत्र हुए |
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वसुदेव देवभाग पृथा श्रुतश्रवा |
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| उद्धव पाण्डव .शिशुपाल | | |
| अन्धक वंश ) बलराम श्रीकृष्ण अन्धक के चार पुत्र हुए
| 1.कुकुर, 2.भजमन, 3.शुचि, 4.कम्बल्बहिर्ष
प्रद्युम्न |
| बह्नी
अनिरुद्ध |
| बिलोम
ब्रजनाभि |
कपोतरोमा
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अनु
|
अन्धक
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दुन्दुभी
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अरिद्योत
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पुनर्वसु
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आहुक
आहुक के दो पुत्र हुए 1.देवक 2.उग्रसेन
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देवकी आदि कंस आदि
वंशावली से सम्बंधित कुछ तथ्य:-
1.यदुवंशियों का ऋषि गोत्र 'अत्रि ' है और वे चंद्रवंशी क्षत्रिय हैं।
2 . महाराजा ययाति के पाँच पुत्रो से जो वंशज चले उनका विवरण निम्नलिखित है:-
i. यदु से यादव
ii. तुर्वसु से यवन
iii. दुह्यु से भोज
iv. अनु से म्लेक्ष
v. पुरु से पौरव
3 . महाराज यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा,नल और रिपु नामक चार पुत्र थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम सहस्त्रजित था। सहस्त्रजित के वंशज हैहयवंशी यादव क्षत्रिय कहलाये। इस वंश में आगे चलकर सहस्त्र भुजाओं से युक्त अर्जुन नामक एक राजा हुए, जो बहुत बलशाली थे। उनकी जीवन गाथा इस ब्लाग के पृष्ठ संख्या 9 पर वर्णित है। यदु के दूसरे पुत्र का नाम क्रोष्टा था। क्रोष्टा के वंश में आगे चलकर सात्वत नामक एक राजा हुए। सात्वत के भजमान,.भजि , दिव्य, वृष्णि , देवावृक्ष, महाभोज ,और अन्धक नामक सात पुत्र थे । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार वृष्णि वंश में और उनकी माता देवकी का जन्म अन्धक वंश में हुआ था। सात्वत के सात पुत्रों में से वृष्णि और अन्धक के वंशजों ने बहुत ख्याति प्राप्त की।
4. वसुदेव और नन्द दोनों वृष्णि वंशी यादव थे तथा दोनों चचेरे भाई थे। अक्रूर भी वृष्णि -वंशी यादव थे। वे भगवान कृष्ण के चाचा थे।
53 टिप्पणियां:
aap yadav ki janm kundli me ruchi kyo rakhte hai.jati to yaha aake bani. mai bhi ek yadav hun par aap to kuchh jyada hi ander ja rahe hai chaliya sabh logo ki alag alag soch hai
Ranjeet jaise sabhi devi devta aur treedevo ka a|ag a|ag naam aur kaam he usi tarah manav jati bhi a|ag hai,sabka apna apna mahtva he k0i jati kisi k barbar nahi |ekin har insan barbar h0ta he.shyad tum is baat k0 samjh sak0 ki kisi vyakti ki pahchan uske kul se h0ti he.
kripya ye bataye ki kya yadav aur kshatriya ek hi vansh ke the?
Aap Ek visheh manav ke sath ek vishes yadav bhi apko mai badhayi deta hu itni gahan gankari rakhane ke liye.
aap ka Danyavad
Neeraj Yadav
Aap ek vishesh yadav ke sath ek vishesh manav bhi hai.
mai aapko bhadhyia deta itna sangra rakhne ke liye. aapka dhanyavad.
अरे भाई यादव वंश क्षत्रिय वंश के अंतर्गत ही तो आता है.............
sir u r doing a good job but they r forgetting there great history ...help them ........
भाई साब यदुवंसी जादौन थे
भाई साब यदुवंसी तो जादौन ठाकुर होते हैं
यादव वंश मे जन्म लेना गर्व की बात है
Jai Jai Madhav
यादव क्षत्रिय नहीं हैं , यदुवंशी क्षत्रिय जादौन , भाटी और जडेजा होते हैं । वर्तमान में श्री कृष्ण के 88वें वंशधर करौली के जादौन ठाकुर हैं
JAI JAI YADAV JAI JAI MADHAV APKA COLLECTION BAHUT UTTAM HAI AISI NAI JANKARIYA DETE RAHE DHANYVAD CONT NO 9926933834
JAI YADAV JAI MADHAV
Ham ekdam shaant swabhaw sahansheel , kshamasheel , kisi se vyarth vivad nahi karte fir v yadi aap hamse vivad karna hi chahte he to
Soch lo ham yadav he yadav
Bhagwan shri krishn ke vanshaj
Sojanya se. Shivam daau dhawar
Ham ekdam shaant swabhaw,sahansheel,kshamasheel.kisi se vyarth vivad nahi karne wale fir v yadi aap hamse vivad karna hi chahte he to
Soch lo hum yadav he yadav
Bhagwan shri krishn ke vanshaj
Saojanya se. Shivam daau dhawar
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, व मध्य प्रदेश के जादौन अपने को कृष्ण के वंशज बताते हें पर ठाकुर कहलवाते हें
यादव,यदुवंशी,अहिर एवं विभिन्न क्षत्रिय आदि मानव थे.
यादव वंश की एक अमित छाप है
'ठाकुर' शब्द से कौन परिचित नहीं है। सभी जानते हैं कि ठाकुर तो क्षत्रियों में ही लगाया जाता है, लेकिन आपको जानकर शायद आश्चर्य हो कि यह ब्राह्मणों में भी लगता है। ठाकुर भी पहले कोई उपनाम नहीं होता था यह एक पदवी होती थी। लेकिन यह रुतबेदार वाली पदवी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई। खान, राय, राव, रावल, राणा, राजराणा और महाराणा यह भी उपाधियाँ या पदवी हुआ करती थी।
यादव वंश बहुत विशाल है जिसमें अहीर राजपूत जाट गूजर कई जातियाँ आती हैं सभी भाई अपनी जगह सही है ठाकुर एक उपाधि है जो कई जातियाँ लगती हैं गूजर जाट अहीर राजपूत बर्हमन
bhai agar jadaun apne ko yaduvanshi kahate hai to galat kya hai .ye sach hai jadaun jadeja ,bhati,chudasama ,raijada,ahir,vasney nayak ,nayadu,ayyar,sab yaduvanshi hai,aur ha yaduvansh ek vansh hai jo prachin bharat me kshatriya varna k antargat ata tha ,prantu kalanter me kuchh vaisyha karmo me lipt ho vaishyo me sanyukt ho gaye ,kuchh rajputo me mill gaye kuchh apne nimn aur dahasatgard acharan k karan dasyu(dakait)kahlaye,
aap ki shaghan jankari ki pashansh karta hu koti koti dhanyvad
aap ki shaghan jankari ki pashansh karta hu koti koti dhanyvad
Hindu Muslim shikh eshae
Ye sab hai Bhai Bhai.
Ham Yadav hain par sabse pahle Inshan h Jishme koe bhedbhaw nahi
जादौन शब्द यादौ अथबा यादव शब्द से बना है ।।
ब्रज भासा में "य" को "ज" पड़ते है ।।
अगर यादव को ठीक से पड़े तो यादौ सब्द आता है ।।
अभीर नन्द बंशी और यादौ बासुदेव के बंश के है ।।
और ये दोनों चचेरे तहेरे भाई थे ।।
दोनों ही ब्रसभ बंशी है ब्रसभ, यदुबंशी है ।।
राजपूत काल में यादौ और अहीर दोनों यादवो ने भारत पर राज्य किया है ।।
यादौ राजाओ ने करोली में राज्य किया ।।
इनके अलाबा भाटी जडेजा और जाधव भी यादवो से अलग हुए बंश है ।।
जाधब सब्द भी य का उच्चारण ज से करने पर शुरू हुआ ।।
मध्य कालीन भारत में ये सब एक दूसरे से अलग हो गए थे ।।
कुछ राजपुतने में राज्य करने के कारण राजपूत कहलाये ।
कुछः यादब राजाओ को ठाकुर की पद्बी भी मिली ।।
ये यादब जाती संपूर्ण भारत में पाई जाती है ।
चूंकी यादवंशी बड़े उत्पाति होते थे इसलिए अंग्रेजो और ब्राह्मणों ने इनको बाँट दिया ।।
इन्होंने अहिरो को किसान बना दिया और यादौ को जादोंन पड़ा और लिखा ताकि ये कभी एक न हो सके।।
जबकि जादौ को अंग्रेजी में लिखने पर ही jadon होता है।।
कुछ अंग्रेज इतिहासकारी हमको बिदेशी बताते है ।।
हहहहह
रुहेलखण्ड के यादौ आज भी जादौ नाम से जाने जाते है और ये ठाकुर नही होते है ।।
ये अपना सर नेम यदुबंशी लिखते है ।।
अगर सब जादौ ठाकुर होते तो ये भी ठाकुर होते
पर इनको श्री कृष्ण का बंशज माना जाता है ।।
और किसान (कुर्मी) जाती में obc का resarvation मिलता है ।।
इसलिए हम सभी यदुवंशियो को आपसी एकता बनाई रखनी चाहिए ।।
जय यदुवंश जय श्री कृष्ण
राज कुमार यदुबंशी
बरेली यूपी
जादौन शब्द यादौ अथबा यादव शब्द से बना है ।।
ब्रज भासा में "य" को "ज" पड़ते है ।।
अगर यादव को ठीक से पड़े तो यादौ सब्द आता है ।।
अभीर नन्द बंशी और यादौ बासुदेव के बंश के है ।।
और ये दोनों चचेरे तहेरे भाई थे ।।
दोनों ही ब्रसभ बंशी है ब्रसभ, यदुबंशी है ।।
राजपूत काल में यादौ और अहीर दोनों यादवो ने भारत पर राज्य किया है ।।
यादौ राजाओ ने करोली में राज्य किया ।।
इनके अलाबा भाटी जडेजा और जाधव भी यादवो से अलग हुए बंश है ।।
जाधब सब्द भी य का उच्चारण ज से करने पर शुरू हुआ ।।
मध्य कालीन भारत में ये सब एक दूसरे से अलग हो गए थे ।।
कुछ राजपुतने में राज्य करने के कारण राजपूत कहलाये ।
कुछः यादब राजाओ को ठाकुर की पद्बी भी मिली ।।
ये यादब जाती संपूर्ण भारत में पाई जाती है ।
चूंकी यादवंशी बड़े उत्पाति होते थे इसलिए अंग्रेजो और ब्राह्मणों ने इनको बाँट दिया ।।
इन्होंने अहिरो को किसान बना दिया और यादौ को जादोंन पड़ा और लिखा ताकि ये कभी एक न हो सके।।
जबकि जादौ को अंग्रेजी में लिखने पर ही jadon होता है।।
कुछ अंग्रेज इतिहासकारी हमको बिदेशी बताते है ।।
हहहहह
रुहेलखण्ड के यादौ आज भी जादौ नाम से जाने जाते है और ये ठाकुर नही होते है ।।
ये अपना सर नेम यदुबंशी लिखते है ।।
अगर सब जादौ ठाकुर होते तो ये भी ठाकुर होते
पर इनको श्री कृष्ण का बंशज माना जाता है ।।
और किसान (कुर्मी) जाती में obc का resarvation मिलता है ।।
इसलिए हम सभी यदुवंशियो को आपसी एकता बनाई रखनी चाहिए ।।
जय यदुवंश जय श्री कृष्ण
राज कुमार यदुबंशी
बरेली यूपी
Aap ek vishesh yadav ke sath ek vishesh manav bhi hai.
mai aapko bhadhyia deta itna sangra rakhne ke liye. aapka dhanyavad.
Aap ek vishesh yadav ke sath ek vishesh manav bhi hai.
mai aapko bhadhyia deta itna sangra rakhne ke liye. aapka dhanyavad.
ANKIT YADAV
Sabse badi jaat kon so hai bhai
Shree ram Ji shakya vansh ke thy or bhagwan shree Krishna bhi shakya vansh ke thy app log jara dhyaan do apni padhai pe nahi to ye sab kharab hai ,jara under tak jao
Jadauns are the descendants of King Yayati's son Yadu. The Jadaun (also spelt as Jadon) are a clan (gotra) of Chandravanshi (Yaduvanshi]) Rajputs found in North India and Pakistan.
Jadauns are not Yadavs.
Jadauns are descendants of King Yayati's son Yadu. While Yadavs are descendants of Yadu -- a son of Harynasva and Madhumati, who was the daughter of Madhu Rakshasa. Madhu says all the territory of Mathura belongs to Abhiras. Further, Mahabharata describes Abhira as forming one of the seven republics, Samsaptak Gunas, and as a friend of Matsyas, a pre vedic tribe.
भाई शुद्ध तो असली यादव ही यदुवँशी हैं । किसी और का कोई प्रमाण नहीं है।
इतने प्रमाण के बाद भी भाई तुम लोग इतने समय बाद यादवों में क्यों घुसना चाहते हो । आज तुम लोग ठाकुर जाती का हिस्सा हों अब भई ठिक हो अब बापसी संभव नहीं है । पहले कुछ यादव राजघराने बाले सूर्यवंशी राजाओ में विवाह सम्बन्ध बनाने के बाद उनमे शामिल होकर एक कास्ट के हो गए नाम भी बदल दिए ।और अपने यादव वंशसे निकल कर राजपूत ठाकुर कहलवाने लगे। जबकि वे यादवों से ही निकले थे ।लेजिब भैया अब बापसी असम्भव है ।इतिहासः उठाकर ददेखे ।jado यादो सब्द कही नहीं है
तुम्ह इतना भी नहीं पता की राम और कृष्ण अलग अलग वंश के थे एज यदु वंश एक रघु वंश के यादव ही सबसे बड़ी कास्ट है जिसका प्रमाण गीता में है
Sahi bat hay
सर कृपाया ये बताए की जब गांधारी ने श्री कृष्ण को शाप दिया था फिर यायव वंश आगे कैसे आया
मैं भी एक यादव हूँ ! कृपाया बताए मेरा e-mail hai
akavinash53@gmail.com
बाधीं की औलाद है जादौन
1990 से पहले जादौन अपनी हीजाति मे शादी करते थे ।येही नही ओर भी है सिसौदिया चौहान परमार परिहार सोलंकी 1970 से पहले अपने नाम जाने जाते थे । राजपूतों में बहन बेटी देके ठाकुर बन गये वाहहहह
Bhai logo thakur aur rajput koi jati nahin hoti thi. Aur rahi baat is kshatriyon ki surya vanshases aur chandra vanshas donon hi kshatriya hain. Thakur shabd sabse pahle bhagwan krishna ke naam se aage lagaya gya tha. Tab se sabhi logon ne thakur shabd jan.
Bhai logo thakur aur rajput koi jati nahin hoti thi. Aur rahi baat is kshatriyon ki surya vanshases aur chandra vanshas donon hi kshatriya hain. Thakur shabd sabse pahle bhagwan krishna ke naam se aage lagaya gya tha. Tab se sabhi logon ne thakur shabd jan.
Bhai logo thakur aur rajput koi jati nahin hoti thi. Aur rahi baat is kshatriyon ki surya vanshases aur chandra vanshas donon hi kshatriya hain. Thakur shabd sabse pahle bhagwan krishna ke naam se aage lagaya gya tha. Tab se sabhi logon ne thakur shabd jan.
yadav hun yadav me khilaph ek shabda bardast nahi karungan air Garv we bolts gun hun may ahir hun
Isiliye to hme aaj doodh benchne wala ,aur aheer chidhane ke roop me pandit kar rhi h
Apni history maloom hona chahiye taki koi ulta seedha na bol sake
Baki jati pati k khilaf mai bhi hu
Par sali pandit paresan kar rhi h
Samjho
Bhai sahab ap ahir leker arakchan le rahe ha yadav ka arakchan nHi ha matr ahir ka arakchhan ha
सब बराबर हैं भाई ।।।
सब बराबर हैं भाई ।।।
सभी मानव हैं समय के साथ साथ सभ्यता में बदलाव आता रहता है।
जादौन वो जो ना यादव रह सके और ना ठाकुर बन पाये, दूसरी बात महाराज कृष्ण से पहले यादवो सैकडो हजारों राजा हो चुके फिर करौली के राजा 88 वे वंशधर कैसे, (2)जादोन लोग बोलते है कि अहीर और यादव अलग अलग होते है ,अहीर नंद के वंशज है इसलिए यादव नही और यादव वसुदेव के वंशज है मूर्खो पहली बात तो अहीर और अभीर शब्द वैदिक काल से चंद्रवंशियों के लिए प्रचलित है जो महाराज यदु से भी पहले चंद्रवंशियों के लिए प्रचलित होता था, और दूसरी यह कि नंद और वसुदेव दौनो चचैरे भाई थे यानी कि महाराज पार्जन्य के पौत्र ,इससे जादौनो के उस मत का खंडन होता है जो अहीर और यादव शब्द मे मतभेद करता है, (3)यादवो को धोखा देकर अलग जाति बनाने वाले जादौनौ के अलावा बहुत से अहीर यादव राजा महाभारत काल मे हुए है जैसे देवगिरी यादव साम्राज्य, विजयनगर के हरिहर व बुक्काराय यदुवंशी साम्राज्य,बजरंगगढ(म.प्र)का नंदवंशी यादव साम्राज्य,रेवाडी का यादव शासन ऐसे बहुत से यादव रजवाड़ों को साजिश के तहत इनका इतिहास छुपाया गया, (4) जादौनो को अहीर राजा राव तुलाराम के बारे मे अध्धय्यन करना चाहिए। (5)जादौनो की सस्ंकृत कमजोर होती है ,यादवो को धौखा देने के अलावा ईंहे अहीर शब्द का अर्थ भी जानना चाहिए ,इनको यह नही पता कि अहीर,अभीर ये सभी यादव के पर्यायवाची शब्द है। (6) जादौनो को यह भी मालुम होना चाहिए जडेजा, भाटी भी स्वमं यदुवंशी कहते है। (7) जादौनो को यह भी मालुम करना चाहिए अहीर योद्धा वीर लोरिक,आल्हा उद्धल के इतिहास एवं वंशावली का अध्धयन करना चाहिए। (8) जादौन को यह भी पता होना चाहिए कि यदु के पुत्र यदुवंशी यानि यादव कहलाते है और जो वास्तव मे यदुवंशी वो नाम के आगे यादव लगाते है जादौन नही। (9) जादौनो का यह यत है कि हम यदु को जदु बोलते है इसलिए अपने आपको जादौन लिखते है, अरे जादौनो अपभ्रंश शब्द क्यो उपयोग मे लेते हो अगर यदुवंशी हो तो अपने नामके आगे यादव लगाओ, आज एक जादौन स्वम् को यादव बोलता है कलको कोई जाटव भी अपने आपको यादव बोलने लगेगा, वास्तविकता तो यह है जो वास्तव मे यदुवंशी है वो प्राचीन समय से यादव शब्द उपयोग मे लेता है , .(10) हम यादवो का पिता यदु थे इसलिए हम वर्षो से यादव लगाते है हमेशा लगायेगे जो स्वम् अपभ्रंश है वे नामके आगे कुछ और लगाते है (11) वर्तमान मे जादौनो कि यह हालत है कि अहीर इनको यादव नही मानता और ठाकुर इन्हे ठाकुर नही मानते ,ना ये यादव बन पाये ना ही ठाकुर , जादौन अपने ही सजातिय अहीरो का विरोध करके अपने कुल के साथ धौखा करते है। (12) यादव (अहीर) शुद्ध चंद्रवंशी क्षत्रीय है जादौनो की हालत यह है कि अहीर इन्हे नामके आगे यादव नही लगाने देते और ठाकुर ईंहे ठाकुर नही मानता
जादौन वो जो ना यादव रह सके और ना ठाकुर बन पाये, दूसरी बात महाराज कृष्ण से पहले यादवो सैकडो हजारों राजा हो चुके फिर करौली के राजा 88 वे वंशधर कैसे, (2)जादोन लोग बोलते है कि अहीर और यादव अलग अलग होते है ,अहीर नंद के वंशज है इसलिए यादव नही और यादव वसुदेव के वंशज है मूर्खो पहली बात तो अहीर और अभीर शब्द वैदिक काल से चंद्रवंशियों के लिए प्रचलित है जो महाराज यदु से भी पहले चंद्रवंशियों के लिए प्रचलित होता था, और दूसरी यह कि नंद और वसुदेव दौनो चचैरे भाई थे यानी कि महाराज पार्जन्य के पौत्र ,इससे जादौनो के उस मत का खंडन होता है जो अहीर और यादव शब्द मे मतभेद करता है, (3)यादवो को धोखा देकर अलग जाति बनाने वाले जादौनौ के अलावा बहुत से अहीर यादव राजा महाभारत काल मे हुए है जैसे देवगिरी यादव साम्राज्य, विजयनगर के हरिहर व बुक्काराय यदुवंशी साम्राज्य,बजरंगगढ(म.प्र)का नंदवंशी यादव साम्राज्य,रेवाडी का यादव शासन ऐसे बहुत से यादव रजवाड़ों को साजिश के तहत इनका इतिहास छुपाया गया, (4) जादौनो को अहीर राजा राव तुलाराम के बारे मे अध्धय्यन करना चाहिए। (5)जादौनो की सस्ंकृत कमजोर होती है ,यादवो को धौखा देने के अलावा ईंहे अहीर शब्द का अर्थ भी जानना चाहिए ,इनको यह नही पता कि अहीर,अभीर ये सभी यादव के पर्यायवाची शब्द है। (6) जादौनो को यह भी मालुम होना चाहिए जडेजा, भाटी भी स्वमं यदुवंशी कहते है। (7) जादौनो को यह भी मालुम करना चाहिए अहीर योद्धा वीर लोरिक,आल्हा उद्धल के इतिहास एवं वंशावली का अध्धयन करना चाहिए। (8) जादौन को यह भी पता होना चाहिए कि यदु के पुत्र यदुवंशी यानि यादव कहलाते है और जो वास्तव मे यदुवंशी वो नाम के आगे यादव लगाते है जादौन नही। (9) जादौनो का यह यत है कि हम यदु को जदु बोलते है इसलिए अपने आपको जादौन लिखते है, अरे जादौनो अपभ्रंश शब्द क्यो उपयोग मे लेते हो अगर यदुवंशी हो तो अपने नामके आगे यादव लगाओ, आज एक जादौन स्वम् को यादव बोलता है कलको कोई जाटव भी अपने आपको यादव बोलने लगेगा, वास्तविकता तो यह है जो वास्तव मे यदुवंशी है वो प्राचीन समय से यादव शब्द उपयोग मे लेता है , .(10) हम यादवो का पिता यदु थे इसलिए हम वर्षो से यादव लगाते है हमेशा लगायेगे जो स्वम् अपभ्रंश है वे नामके आगे कुछ और लगाते है (11) वर्तमान मे जादौनो कि यह हालत है कि अहीर इनको यादव नही मानता और ठाकुर इन्हे ठाकुर नही मानते ,ना ये यादव बन पाये ना ही ठाकुर , जादौन अपने ही सजातिय अहीरो का विरोध करके अपने कुल के साथ धौखा करते है। (12) यादव (अहीर) शुद्ध चंद्रवंशी क्षत्रीय है जादौनो की हालत यह है कि अहीर इन्हे नामके आगे यादव नही लगाने देते और ठाकुर ईंहे ठाकुर नही मानता
मूर्ख ना बनाओ असली यदुवंशी जादौन ही है गुरु इस बात को मानलो उसी मैं
I proud of born in Yadav vansh jai shri Krishna
Asli yaduvanshi kewal Jadon aur haryana ke yadav hai.
Excellent work. I am JAT by caste. But I am in research since 20 years and know that the truth as Just, Abhir, Yadu and JATs are mentioned in Mahabharat. There is no Rajput and Gujjar ward found in ancient history.
Again congrats to you for doing well.
Thanks.. 👍🏆🎁
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